पूर्वांचलों की बसाई हुई पूर्वी दिल्ली का मंडावली, फजलपुर इलाका…घने बसे इस क्षेत्र में पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े बाजारों में से एक बाजार लगता है. दिल्ली के सबसे पुराने गांवों में गिने जाने वाले मंडावली में अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर बसे हुए हैं. इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका परिवार आधी सदी पहले से यहां रह रहा है. राममुनि देवी भी पांच दशक पहले अपने पति के साथ मंडावली आ गई थीं. शादी के ठीक बाद उत्तर प्रदेश के हाथरस से दिल्ली पहुंची राममुनि देवी ने पति के साथ सब्जी बेचना शुरू किया था और अब उन्हें सब्जी बेचते 50 साल हो गए हैं.
72 साल की राममुनि देवी बताती हैं कि कुछ साल पहले उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया और अब वो अपने दो बेटों के साथ रह रही हैं. ठेले पर हर तरह की हरी साग बेच रही राममुनि कहती हैं, ‘पति ने छोड़ दिया… लेकिन मैंने सब्जी बेचना नहीं छोड़ा. क्या करती, मजबूरी है. घर था वो भी जाते-जाते बेच गया मेरा पति. अब किराए पर रहती हूं. बेटे कमाते हैं, लेकिन उन्हें ही पूरा नहीं हो पाता. मैं थोड़े पैसे कमा लेती हूं तो अपनी दवा-दारू का हो जाता है. कुछ पोते-पोतियों को दे देती हूं.’
राममुनि बताती हैं कि वो गाजीपुर सब्जी मंडी से सब्जी लेने सुबह 4-5 बजे चली जाती हैं और घर आकर सब्जियों को छांटती-बीनती हैं फिर 4 बजे से ठेला लगाकर सब्जियां बेचती हैं. इस पूरी प्रक्रिया में मेहनत बहुत लगता है लेकिन कमाई बहुत कम होती है. वो कहती हैं, ‘सब्जी बेचकर क्या ही फायदा होता है. मान लो एक हजार की सब्जी लेकर आई तो 1,100 या 1,200 रुपये आ जाते हैं… कई बार तो जितने की सब्जी लाती हूं, उतना पैसा भी नहीं निकल पाता.’