शाहजहांपुर (रुद्राक्ष आवाज)। मुमुक्षु महोत्सव के अंतर्गत चल रही श्री रामकथा के तीसरे दिन कथा व्यास विजय कौशल महाराज ने शिव पार्वती विवाह का प्रसंग बड़े ही मनमोहक अंदाज में वर्णित किया। उन्होंने बताया कि शिव के गण उन्हें विवाह के लिए जब दूल्हे के रूप में सजाते हैं, तो वे आभूषणों की जगह उनके शरीर पर नाग लपेट देते हैं, साथ ही शरीर पर भस्म मल देते हैं और हाथ में डमरू दे देते हैं। शिव कहते हैं कि शरीर को कितना भी सजा लो, अंत में इसे मुट्ठी भर भस्म के रूप में ही परिवर्तित हो जाना है। उनका एक गण कहता है- ‘बाबा भांग खाओगे या दम लगाओगे।’ जब शिव की बारात चलती है तो उसमें आगे आगे देवतागण एवं पीछे-पीछे भूत प्रेत शामिल होते हैं। इधर पूरा हिमाचल माता पार्वती के विवाह के उत्सव में जगमगा रहा होता है। गणमान्य लोग भगवान विष्णु को दूल्हा समझकर उनके गले में हार डाल देते हैं, किंतु जब उन्हें वास्तविकता का पता चलता है तो वे सोचते हैं कि जब बाराती इतने सुंदर हैं, तो दूल्हा कितना सुंदर होगा। किंतु बाद में भूतों को देखकर भगदड़ मच जाती है और सन्नाटा फैल जाता है। शिव का स्वरूप देखकर पार्वती की मां मैना नारद जी को बहुत बुरा भला कहती हैं और फफक फफक कर रोने लगती हैं। वे कहती हैं कि चाहे मुझे अपनी बेटी को जीवन भर अविवाहित ही रखना पड़े किंतु मैं शिव के साथ उनका विवाह नहीं करूंगी। पार्वती जी उन्हें समझाते हुए कहती हैं कि माता यदि मेरे भाग्य में ऐसा ही लिखा है तो आप कुछ नहीं कर सकती। इतने में नारद जी वहां पहुंचकर मैना को समझाते हुए कहते हैं कि तुम्हारे घर में साक्षात माता जगदंबा ने जन्म लिया है। इसके उपरांत विवाह की तैयारी होने लगती है और हिमाचल माता पार्वती का कन्यादान करते हैं। ऐसा करते समय वे कांपते हुए रोने लगते हैं। मैना उन्हें समझाती हैं कि बेटी भाग्यवान पिता के यहां ही जन्म लेती है। जब विवाह संपन्न होता है, तो आकाश से पुष्पवृष्टि होती है, चारों ओर जय जयकार होने लगती है और सारी देवी देवता प्रकट हो जाते हैं। मां पार्वती को विदा करते समय हिमाचल शिव से कहते हैं कि उमा हमारी प्राण है और पार्वती से कहते हैं कि पति को हमेशा परमेश्वर की तरह मानना। इसके उपरांत कथा व्यास ने एक अन्य प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब माता पार्वती भगवान शिव से श्री रामकथा सुनाने का अनुरोध करती हैं, तो शिव भावुक हो जाते हैं एवं उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वे माता से कहते हैं कि भगवान हमेशा भक्त के वश में होते हैं। भक्त ही तय करता है कि भगवान उसे किस रूप में दर्शन देंगे। कथाव्यास ने द्रौपदी चीरहरण एवं नरसी का भात प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावुक कर दिया। कथा का समापन ‘हे राजा राम तेरी आरती उतारुं’ के साथ हुआ। आरती डॉ रवि मोहन एवं उनकी पत्नी डॉ संगीता मोहन अपर जिलाधिकारी संजय पांडेय, एडवोकेट मुनेंद्र सिंह, बार संघ के अध्यक्ष एडवोकेट अजय वर्मा, महामंत्री अवधेश सिंह तोमर, सुरेश सिंघल, एस एस कॉलेज के उपप्राचार्य प्रो अनुराग अग्रवाल, प्रो प्रभात शुक्ला, प्रो मीना शर्मा, चार्टर्ड अकाउंटेंट जी एस वर्मा के द्वारा की गई। प्रसाद वितरण में एस एस कॉलेज के प्राचार्य प्रो आर के आजाद, झरना रस्तोगी एवं राम लखन सिंह का योगदान रहा। इस अवसर पर शाहजहांपुर के सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। आयोजन में डा. अवनीश कुमार मिश्रा, डा. राम निवास गुप्ता,डॉ जयशंकर ओझा, डॉ प्रमोद यादव, डॉ प्रांजल शाही, मृदुल पटेल, डॉ अजय वर्मा आदि का विशेष सहयोग रहा।